इस खेल में कौन हारा और कौन जीता ( Ankahi Kahaniya)
Kuchh Ankahi kahaniyan By PK SINGH (Love stories, Broken heart Stories, Shayari) इस खेल में कौन हारा और कौन जीता आबादी इतनी बढ़ गई है कि सड़क के दोनों किनारों तक शनीचरी बाजार सिमट गया है. चारों ओर मकान बन गए हैं. मजार और पुलिस लाइन के बीच जो सड़क जाती है, उसी सड़क के किनारे शनीचरी बाजार लगता है. तहसीली के बाद बाजार शुरू हो जाता है, बल्कि कहिए कि तहसीली भी अब बाजार के घेरे में आ गई है. शनीचरी बाजार के उस हिस्से में केवल चमड़े के देशी जूते बिकते हैं. यहीं पर किशन गौशाला का दफ्तर भी है. अकसर गौशाला मैनेजर की झड़प मोचियों से हो जाती है. मोची कहते हैं कि उन के पुरखे शनीचरी बाजार में आ कर हरपा यानी सिंधोरा, भंदई, पनही यानी जूते बेचते रहे. तब पूरा बाजार मोचियों का था. जाने कहां से कैसे गौसेवक यहां आ गए. अगर सांसद के प्रतिनिधि आ कर बीचबचाव न करते तो शायद दंगा ही हो जाता. लेकिन सांसद का शनीचरी बाजार में बहुत ही अपनापा है इसलिए मोचियों का जोश हमेशा बढ़ा रहता है. अपनापा भी खरीदबिक्री के चलते है. सांसद रहते दिल्ली में हैं, मगर हर महीने तकरीबन 25-30 जोड़ी खास देशी जूते, जिसे यहां भंदई कह...